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थर्ड असाइनमेंट रवरकेद

  • Writer: radhika-sinha
    radhika-sinha
  • Apr 17, 2023
  • 4 min read

Updated: Jan 11

भारत के विभाजन की विभाजन का प्रभाव एक ऐसी घटना है जो दोनों देशों को, भारत और पाकिस्तान पूरी तरह से तबाह कर गया था। भारत के विभाजन के प्रभाव काफी चिंताजनक थी। विभाजन के तत्काल परिणाम हिंसा थी । सांप्रदायिक दंगों नेदेश भर में जगह ले ली जान को नष्ट करने , धन औरकड़वाहट का साफाया करना मुश्किल कर दिया था । इसके अलावा, भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली, अल्पसंख्यकों सीधे विभाजन के क्षेत्रों में प्रभावित हो रहे थे। इस के अलावा , ' डायरेक्ट एक्शन ' अभियान मुस्लिम लीग द्वारा कलकत्ता हत्या और ईस्ट बंगाल के नोआखली जिले में गड़बड़ी के द्वारा किया गया । तनाव के रूप में अच्छी तरह से बिहार और पंजाब और उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के क्षेत्रों में प्रबल हो गयी थी । इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रक्तपात और आगजनी देखा गया।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के अनुसार भारत में रियासतों को भारत या पाकिस्तान इन् दोनों में से किसी एक देश को स्वीकार करने को कहा गया था । इस संबंध में जम्मू-कश्मीर को चुनाव के सवाल का सामना करना पड़ा ।यह दो समुदायों के बीच आगे काफी कठिनाईया आने को थी। इस तरह के दंगे फसाद और आक्रोश को रोकने के लिए गांधीजी और जिन्ना दोनों लार्ड माउंटबेटन के लिए एक संयुक्त अपील जारी की । लेकिन वह भी दो समुदायों के बीच संबंधों में किसी का भी ध्यान उनके बीच में के दुरी क काम अकर्ने पे नहीं गया बल्कि मुश्किलें यहाँ से सिर्फ बढ़ती ही चली जा रही थी।विभाजन के वक़्त ब्रिटिश इंडिया जब टूट गए तो लग भाग१२ मिलियन -१५ मिलियन लोग विस्थापित हुए थे ।इसके अलावा उनको देश से निकल गया था , जैसेपंजाब और बंगाल के प्रांतों भी अलग हो गए थे ।यहडिवीज़न, विनाशकारी दंगों के कारण हुआ था और हिंदुओं , मुसलमानों और सिखों की जान ले ली गए थी । लेकिन उसके बाद , १७ अगस्त को रेडक्लिफ अवार्ड तेल की घोषणा के एक अभियान में सभी पश्चिमी पंजाब और उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत में हिंदुओं और सिखों को खदेड़ने के लिए शुरू किया गया था ।इसके अलावा, लाहौर, शेखपुरा , सियालकोट और गुजरांवाला जिलों में गंभीर गड़बड़ी विभाजन के बाद के रूप में विकसित होना चालू हो गया था । इसके तुरंत बाद, सांप्रदायिक अशांति सीमा दोनों देशों में जनता का सबर लिए जारहा था, इतने दंगे में न जाने कितनी लोगो ने अपनी जान तोह गवा ही दी परन्तु उसके साथ साथ आर्थिक और सामाजिक नुक्सान काफी हुआ ।भारत के विभाजन के प्रभाव ने ही शरणार्थियों की समस्या को जन्म दिया था । हिंदुओं और पश्चिमी पाकिस्तान में सिखों कम से कम मार्गों से भारतीय सीमा में प्रवेश किये जा रहे थे।शरणार्थियोंपूर्वी पंजाब के शहर और दिल्ली के प्रांत के माध्यम से रवाना हुए और संयुक्त प्रांत के पश्चिमी जिलों में उमड़े ।शरणार्थियों को निराशा और दुख की शर्तों से ज़िन्दगी को गुज़ारने के अलावा कोई और उपाय नहीं दिया गया था ।पश्चिमी पाकिस्तान के सामूहिक विनाश ने पूर्वी पंजाब में अपने प्रभाव छोड़ना चालू कर दिया था ।पिछली सदी के बड़े पैमाने पर मानव त्रासदियों में से एक , विभाजन की घटना विशेष रूप से इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों के बीच उपमहाद्वीप में तारीख करने के लिए आमंत्रित करने के लिए बहस और यहां तक कि अन्य जगहों पर, जारी किये गए थे ।भारत और पाकिस्तान के नव स्वतंत्र राज्यों विभाजन के बाद अपने ही, अपनाई विविध, भाग्य हालांकि , दुर्घटना हिंसा वह शारीरिक घाव बन चूका था जिसको शायद वक़्त भी नहीं हटा पा रहे थे ।यह, हालांकि, लाखो लोगो पर मानसिक रूप से काफी भारी ज़ख़्म था, जो मुझे लगताहै आज इतने वर्षो बाद लोगो अपने आनेवाले पीढ़ी को सुनते है, जिसके कारन हम चाहे तो इन् दोनों देशो के बीच में अमन लाने की कोशिश नहीं कर पते है. हम यह नहीं सोच रहे है की उस विभाजन में सिर्फ इंसान, आर्थिक नुक्सान ही नहीं हुआ था इस बात को क्यों नज़र अंदाज़ कर देते है की उस दिन से लेके आज तक हम इंसानियत को भी मारते आये है I


आज, दोनों देशों के बीच विवादास्पद सीमा , विशेष रूप से कश्मीर क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरंग और टिकाऊ संबंध के किसी भी प्रकार के विकास में फेस्टरिंग गले के रूप में कार्य करता है। लड़ और मार मिटा तो तीनो देश, पर इससे हासिल हुआ तो क्या ?भारत और पाकिस्तान के सदा तनाव की स्थिति में रहते हैं बस यह बेरुखी । दोनों मुल्कों की सेना उस बॉर्डर पर रोज़ गोली बारूद से एक दूसरे को भून रही है, पर कभी हम यह सोचते है की नफरत सिर्फ उनके दिल में नहीं लेकिन सदियों से हम अपने खून से अपने आने वाली पीढ़ी को देते जा रहे है I सिर्फ वही नहीं, हमारे दोनों देशो कितने ही प्रसिद्ध कलाकार है जो अगर मिल जाये तो इन् दोनों देशो की विरासत ही बढ़ जाएगी । अक्सर न्यूज़पेपर में पढ़ती हूँ की कई पाकिस्तानी कलाकार को मुजाहिदीनों की तरह पेश आया जाता है, मेरा सवाल बस इतना ही है की कबसे एक चित्रकार ने अपने चित्र में रंग एक महब सोच के डाली है? कबसे सुर, ताल और रंग का महब होने लगा? इससे नकां किसी और का नहीं बल्कि सिर्फ हमारा ही हो रहा है I अपने २०१० उपन्यास 'मेरा हत्यारों की कहानी ' में, भारत के अनुभवी पत्रकार तरुण तेजपाल ताजा एक चरित्र की मदद से विभाजन के दौरान नरसंहार की कहानी सुनाते हैं। अधिक विभाजन के ही प्राथमिक घटनाओं की तुलना में इस फिल्म उन घटनाओं के द्वितीयक और तृतीयक अभिव्यक्तियों की पड़ताल , उदाहरण के लिए कहते हैं, उन घटनाओं के द्वारा उठाए गए एक ही समुदाय के लोगों और टोल के कारण विस्थापित लड़कियों और महिलाओं के यौन शोषण किया जाता था I हालांकि विभाजन से संबंधित हिंसा से हुए नुकसान को वापस नहीं लाया जा सकता है, पर हम अपने आनेवाले पीढ़ी को यह दुर्घन्ता होम से बचा सकते है I सिद्धांत रूप में, हम अच्छी तरह से है कि अंतर्दृष्टि का उपयोग करते हुए इस तरह के विस्फोट की तीव्रता को कम करने के लिए नहीं तो उन्हें पूरी तरह से रोकने के लिए आगे कदम बढ़ना चाहिए I

 
 
 

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